Gulzar Shayari भारतीय साहित्य की अनमोल धरोहर है। उनके शब्द, उनकी कल्पना, और उनके विचार हर दिल को छू जाते हैं। Gulzar Shayari का सबसे बड़ा जादू उनकी सरलता और गहराई में छिपा है। उनके शब्द सीधे दिल को छूते हैं और सोचने पर मजबूर करते हैं।
Gulzar Shayari केवल पढ़ने का अनुभव नहीं है, यह दिल से महसूस करने और आत्मा को छूने का एक माध्यम है। उनके लिखे हुए अल्फ़ाज़ों में हर भावना का असर महसूस किया जा सकता है।
Best Gulzar Shayari
टूट जाना चाहता हूँ, बिखर जाना चाहता हूँ,
में फिर से निखर जाना चाहता हूँ।
मानता हूँ मुश्किल हैं,
लेकिन मैं गुलज़ार होना चाहता हूँ।।

उम्र जाया कर दी लोगो ने
औरों में नुक्स निकालते निकालते
इतना खुद को तराशा होता
तो फरिश्ते बन जाते
याद आएगी हर रोज़ मगर तुझे आवाज़ न दूंगा
लिखूंगा तेरे ही लिए हर ग़ज़ल मगर तेरा नाम न लूंगा …….
मौत पर भी मुझे यकीन है तुम पर भी एतबार है
देखना है पहले कौन आता है मुझे दोनों का इंतेज़ार है …..
बेशुमार मोहब्बत होगी बारिश की बूंदों को ज़मीन से
यूं ही नहीं मोहब्बत में कोई इतना गिर जाता है …..

मैंने मौत को देखा तो नहीं पर शायद वो बहुत खूबसूरत होगी
कमबख्त जो भी उससे मिलता है जीना ही छोड़ देता है …..
दिल में अगर दर्द हो तो दवा कीजिए
दिल ही जब दर्द हो तो क्या कीजिए…..
मेरी कोई खता साबित कर
जो बुरा हूं तो बुरा साबित कर
तुम्हें चाहा है का कितना तू क्या जाने
चल मैं बेवफ़ा ही सही , तू अपनी वफ़ा साबित कर ….

Amazing Gulzar Shayari
हम समझदार भी इतने हैं कि उसका झूठ पकड़ लेते हैं
और उनके दीवाने भी इतने हैं कि फिर भी यकीन कर लेते हैं
तुम्हे जो याद करता हुँ, मै दुनिया भूल जाता हूँ ।
तेरी चाहत में अक्सर, सभँलना भूल जाता हूँ ।
वो मोहब्बत भी तुम्हारी थी नफरत भी तुम्हारी थी,
हम अपनी वफ़ा का इंसाफ किससे माँगते..
वो शहर भी तुम्हारा था वो अदालत भी तुम्हारी थी.

हाथ छुटे तो भी रिश्ते नहीं छोड़ा करते,
वक़्त की शाख से रिश्ते नहीं तोड़ा करते!
अगर आंसुओं की कीमत होती तो
कल रात वाला तकिया अरबों का होता …….
आदतन तुम ने कर दिए वादे,
आदतन हमने ऐतबार किया।
तेरी राहो में बारहा रुक कर,
हम ने अपना ही इंतज़ार किया।।
अब ना मांगेंगे जिंदगी या रब,
ये गुनाह हमने एक बार किया।।।

किसने रास्ते मे चांद रखा था,
मुझको ठोकर लगी कैसे।
वक़्त पे पांव कब रखा हमने,
ज़िंदगी मुंह के बल गिरी कैसे।।
आंख तो भर आयी थी पानी से,
तेरी तस्वीर जल गयी कैसे।।

एक सपने के टूटकर चकनाचूर हो जाने के बाद
दूसरा सपना देखने के हौसले का नाम जिंदगी हैं
देर से गूंजते हैं सन्नाटे,
जैसे हमको पुकारता है कोई.
कल का हर वाक़िया था तुम्हारा,
आज की दास्ताँ है हमारी
मिलता तो बहुत कुछ है
ज़िन्दगी में
बस हम गिनती उन्ही की
करते है जो हासिल न हो सका
एक सौ सोलह चाँद की रातें ,
एक तुम्हारे कंधे का तिल।
गीली मेहँदी की खुश्बू झूठ मूठ के वादे,
सब याद करादो, सब भिजवा दो,
मेरा वो सामान लौटा दो।।
दोस्ती और मोहब्बत में फर्क सिर्फ इतना है
बरसों बाद मिलने पर मोहब्बत नजर चुरा लेती
और दोस्ती सीने से लगा लेती है

कब आ रहे हो मुलाकात के लिए
मैंने चांद रोका है एक रात के लिए
जिंदगी छोटी नहीं होती है,
लोग जीना ही देरी से शुरू करते हैं
ये दोस्ती का गणित है साहब
यहां दो में से एक गया तो कुछ नहीं बचता..
Two Lines Gulzar Shayari
आज़माना अपनी यारी को पतझड़ में मेरे दोस्त
सावन में तो हर पत्ता हरा नजर आता है..

बदल जाओ वक़्त के साथ या वक़्त बदलना सीखो,
मजबूरियों को मत कोसो, हर हाल में चलना सीखो!
कभी तो चौंक के देखे कोई हमारी तरफ
किसी की आँख में हम को भी इंतजार दिखे
दोस्तों के नाम का एक ख़त जेब में रख कर क्या चला ..!
क़रीब से गुज़रने वाले पूछते इत्र का नाम क्या है…!!
एक ना एक दिन हासिल कर ही लूंगा मंजिल..
ठोकरें ज़हर तो नहीं जो खा कर मर जाऊंगा।
यूं तो ऐ जिंदगी तेरे सफर से
शिकायते बहुत थी
मगर दर्द जब दर्ज करने पहुंचे
तो कतारें बहुत थी

गए थे सोचकर की बात
बचपन की होगी
मगर दोस्त मुझे अपनी
तरक्की सुनाने लगे
घर में अपनों से उतना ही रूठो
कि आपकी बात और दूसरों की इज्जत,
दोनों बरक़रार रह सके
आप के बाद हर घड़ी हम ने
आप के साथ ही गुज़ारी है
देर से गूंजते हैं सन्नाटे,
जैसे हम को पुकारता है कोई।
हवा गुज़र गयी पत्ते थे कुछ हिले भी नहीं,
वो मेरे शहर में आये भी और मिले भी नहीं।।

समेट लो इन नाजुक पलों को ना जाने ये लम्हें हो ना हो,
हो भी ये लम्हें क्या मालूम शामिल उन पलो में हम हो ना हो।
पूरे के ख्वाइश में ये इंसान बहुत कुछ खोता है
भूल जाता है कि आधा चांद भी खूबसूरत होता है ……..
एक सुकून की तलाश में जाने कितनी बेचैनियां पाल लीं,
और लोग कहते हैं कि हम बड़े हो गए हमने ज़िंदगी संभाल ली।
उम्र ज़ाया कर दी लोगों ने, औरों में नुक्स निकालते-निकालते
इतना खुद को तराशा होता, तो फरिश्ते बन जाते।
बड़ी नादानी से पूछा उन्होंने क्या अच्छा लगता है
हमने भी धीरे से कह दिया एक झलक आपकी ….
कहीं किसी रोज़ यूं भी होता
हमारी हालत तुम्हारी होती
जो रातें हमने गुजारी मरके
वो रातें तुमने गुजारी होती
Zindagi Gulzar Shayari
झुकी हुई निगाह में कही मेरा ख्याल था
दबी दबी हंसी में एक हसीन सा गुलाल था
मैं सोचता था मेरा नाम गुनगुना रही है वो
न जाने क्यों लगा मुझे कि मुस्कुरा रही है वो …..
इश्क होने लगा तो पूजा पाठ किया करो
मोहब्बत होगी तो मिल जाएगी और बला होगी तो टल जाएगी
कुछ अलग करना है तो भीड़ से हट के चलिए
भीड़ साहस तो देती है लेकिन पहचान छीन लेती है
मेरी लिखी बातों को हर लोग नहीं समझ पाता
क्योंकि मैं अहसास लिखता हूं और लोग अल्फ़ाज़ पढ़ते हैं
कहते हैं किसी को ज्यादा सोचो तो वो ख्वाबों में आते हैं
फिर ज्यादा चाहने से ज़िंदगी में क्यों नहीं आ जाता…..
हमसे रिश्ता बनाए रखना
हम वहां काम आते हैं जहां सब छोड़ जाते हैं….,..
ज़िंदगी की दौड़ में तजुर्बा कच्चा ही रह गया
हम सीख न पाए फरेब और दिल बच्चा ही रह गया ….
चलो मुस्कुराने की वजह ढूंढते है
तुम हमें ढूंढो हम तुम्हें ढूंढते हैं …….
एक सुबह एक मोड पर
मैंने कहा उसे रोककर
हाथ बढ़ा ए ज़िंदगी
आंख मिला के बात कर …..
कोसा कोसा लगता है, तेरा भरोसा लगता है
रात ने अपनी थाली में चांद परोसा लगता है
आज़माना अपनी यारी को पतझड़ में मेरे दोस्त
सावन में तो हर पत्ता हरा नजर आता है..
Interesting Gulzar Shayari
बदल जाओ वक़्त के साथ या वक़्त बदलना सीखो,
मजबूरियों को मत कोसो, हर हाल में चलना सीखो!
कभी तो चौंक के देखे कोई हमारी तरफ
किसी की आँख में हम को भी इंतजार दिखे
दोस्तों के नाम का एक ख़त जेब में रख कर क्या चला ..!
क़रीब से गुज़रने वाले पूछते इत्र का नाम क्या है…!!
एक ना एक दिन हासिल कर ही लूंगा मंजिल..
ठोकरें ज़हर तो नहीं जो खा कर मर जाऊंगा।
यूं तो ऐ जिंदगी तेरे सफर से
शिकायते बहुत थी
मगर दर्द जब दर्ज करने पहुंचे
तो कतारें बहुत थी
गए थे सोचकर की बात
बचपन की होगी
मगर दोस्त मुझे अपनी
तरक्की सुनाने लगे
Dil chune wala Gulzar Shayari
घर में अपनों से उतना ही रूठो
कि आपकी बात और दूसरों की इज्जत,
दोनों बरक़रार रह सके
आप के बाद हर घड़ी हम ने
आप के साथ ही गुज़ारी है
देर से गूंजते हैं सन्नाटे,
जैसे हम को पुकारता है कोई।
हवा गुज़र गयी पत्ते थे कुछ हिले भी नहीं,
वो मेरे शहर में आये भी और मिले भी नहीं।।
समेट लो इन नाजुक पलों को ना जाने ये लम्हें हो ना हो,
हो भी ये लम्हें क्या मालूम शामिल उन पलो में हम हो ना हो।
Gulzar Shayari aap sabhi ke dil tak pahuncha hoga ye umeed krte hain .
Agar aap sabhi ko Gulzar Shayari pasand aaya to support krne ke liye share kren …
किसने रास्ते मे चांद रखा था,
मुझको ठोकर लगी कैसे।
वक़्त पे पांव कब रखा हमने,
ज़िंदगी मुंह के बल गिरी कैसे।।
आंख तो भर आयी थी पानी से,
तेरी तस्वीर जल गयी कैसे।।

एक सपने के टूटकर चकनाचूर हो जाने के बाद
दूसरा सपना देखने के हौसले का नाम जिंदगी हैं
देर से गूंजते हैं सन्नाटे,
जैसे हमको पुकारता है कोई.
कल का हर वाक़िया था तुम्हारा,
आज की दास्ताँ है हमारी
मिलता तो बहुत कुछ है
ज़िन्दगी में
बस हम गिनती उन्ही की
करते है जो हासिल न हो सका
Gulzar Shayari in Hindi
एक सौ सोलह चाँद की रातें ,
एक तुम्हारे कंधे का तिल।
गीली मेहँदी की खुश्बू झूठ मूठ के वादे,
सब याद करादो, सब भिजवा दो,
मेरा वो सामान लौटा दो।।
दोस्ती और मोहब्बत में फर्क सिर्फ इतना है
बरसों बाद मिलने पर मोहब्बत नजर चुरा लेती
और दोस्ती सीने से लगा लेती है
